DRDO क्या है और यह क्या कार्य करता है?

DRDO क्या है? (What is DRDO) जब देश के विकास और मजबूती की बात करे तो सबसे पहले उस देश के सैन्य शक्ति और विज्ञान शक्ति पर जोर दिया जाता है. अगर किसी भी देश की सैन्य और विज्ञान शक्ति परस्पर सहयोग से काम करती है तो देश और अधिक सुरक्षित हो जाता है. हमारे देश भारत में DRDO इसी उद्देश्य से काम कर रही है. DRDO (Defence Research and Development Organisation) भारत एक ऐसी संस्था है जिसमे सैन्य और विज्ञानं आपस में मिलकर परस्पर कार्य करते है,

 

DRDO की स्थापना कब और किसने की थी?

 

इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1958 में थल सेना तथा रक्षा विज्ञान के द्वारा तकनीक बिभाग के रूप में की गयी थी,उस समय भारत में कुल मिला कर 10 ही प्रयोगशालाए थी 1980 रक्षा विज्ञान के द्वारा कुछ संशोधन करके एक अलग  DRDO विभाग बनाया गया तब जाकर बाद में DRDO ने  प्रयोग शालाओ का सञ्चालन किया गया,

DRDO का मुख्यालय कहाँ उपस्थित है?

 

DRDO का  मुख्यालय नई दिल्‍ली में स्थित है. ये मुख्यालय दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के समीप है और सेना भवन के सामने उपस्थित है. इसकी एक और प्रयोगशाला महात्मा गाँधी मार्ग पर उत्तर पश्चिमी दिल्ली में स्थित है.

DRDO का फुल फॉर्म क्या है?

DRDO का फुल फार्म ( डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन ) है, इसको हिंदी मे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनकहा जाता है.

DRDO क्या कार्य करती है?

DRDO रक्षा मंत्रालय केअंतर्गत कार्य  करती है. DRDO तीनों प्रकार की रक्षा सेवाओं की गुणवत्ता के आधार पर कार्य करती है जैसे की हथियार और उपकरणों के उत्पादन में वैश्विक स्तर पर देश को आत्मनिर्भर बनानेकी ओर अग्रसर है DRDO कई क्षेत्रों में जैसे एयरोनॉटिक्स, मिसाइल्स, नवल सिस्टम्स, लाइफ साइंस, एडवांस कंप्यूटिंग मेंअपना योगदान दे रही  है . यह रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में अहम् भूमिका निभा रहा है

DRDO का इतिहास – History of DRDO

DRDO ने 1960 के दशक में सबसे बड़ी परियोजना प्रोजेक्ट इंडिगो जो कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) के रूप में शुरूआत की. लेकिन बाद मे इस प्रोजेक्ट को सही सफलता न मिलने के कारण बंद कर दिया गया  बाद में प्रोजेक्ट इंडिगो ने 1970 के दशक में SAM( सरफेस टू एयर मिसाइल) और ICBM को विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट वेलेंट के साथ प्रोजेक्ट डेविल का नेतृत्व किया. IGMDP( एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम ) को औपचारिक रूप से 26 जुलाई, 1983 को भारत सरकार की मंज़ूरी मिल ही गयी। 1983 से 2007 के बीच IGMDP ने कई मिसाइलें को बनाया गया

IGMDP के द्वारा विकसित गयी मिसाइलें हैं :-

पृथ्वी – सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल है,

अग्नि – सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल है,

त्रिशूल – सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल है,

आकाश –सतह-से-आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल है,

 नाग –  तीसरी पीढ़ी की टैंक भेदी मिसाइल है,

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